बेतिया के धनकोटवा गांव में एक दुखद घटना घटी जब विषैले सांप के काटने के बाद एक किशोर की झाड़-फूंक के चक्कर में मौत हो गई। यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास के कारण हो रही मौतों का एक और उदाहरण है।
घटना का विवरण
धनकोटवा गांव के 16 वर्षीय किशोर राजेश कुमार को रात में सोते समय विषैले सांप ने काट लिया। परिवार के सदस्यों ने तुरंत उसे अस्पताल ले जाने के बजाय झाड़-फूंक करने वाले एक स्थानीय ओझा के पास ले जाने का फैसला किया। करीब तीन घंटे तक ओझा ने झाड़-फूंक की, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। अंत में जब किशोर की हालत गंभीर हो गई, तब उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
स्थानीय प्रशासन ने घटना की जानकारी मिलने पर जाँच शुरू की। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यदि समय पर राजेश को अस्पताल ले जाया जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों को झाड़-फूंक के बजाय तुरंत चिकित्सा सहायता लेने की सलाह दी है।
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अंधविश्वास का प्रभाव
यह घटना दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास कितना गहरा है। लोग विषैले सांप के काटने जैसी गंभीर स्थितियों में भी झाड़-फूंक को प्राथमिकता देते हैं, जिससे अक्सर जानलेवा परिणाम होते हैं। सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा समय-समय पर अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इनका असर ग्रामीण क्षेत्रों में कम ही देखने को मिलता है
जागरूकता की आवश्यकता
स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन ने इस घटना के बाद एक बार फिर ग्रामीणों को जागरूक करने के प्रयास शुरू किए हैं। अधिकारियों का कहना है कि झाड़-फूंक के बजाय तत्काल चिकित्सा सहायता लेना ही सही विकल्प है। इसके अलावा, स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में भी अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
निष्कर्ष
धनकोटवा गांव की इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अंधविश्वास के चक्कर में जीवन खोने की घटनाएं अभी भी जारी हैं। इसे रोकने के लिए आवश्यक है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाई जाए और लोगों को सही चिकित्सा सहायता की ओर प्रेरित किया जाए।
इस घटना से सबक लेते हुए, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को और भी अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है
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