हाल ही में नीतीश सरकार ने कैबिनेट बैठक में पंचायती राज विभाग को लेकर एक बड़ा फैसला लिया था, जिसमें 15 लाख से कम की राशि के काम टेंडर से कराने का निर्णय शामिल था। इस फैसले का उद्देश्य मुखियाओं पर लगाम लगाना था। लेकिन मुखिया संघ की नाराजगी के बाद, सरकार ने इस पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है। पंचायती राज विभाग के मंत्री केदार गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले पर पुनर्विचार करेंगे।

19 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में स्वीकृत इस फैसले का सीधा असर मुखियाओं और प्रमुखों पर पड़ता, जिससे उनके वित्तीय अधिकार सीमित हो जाते। मुखिया संघ ने इस फैसले का विरोध किया और आंदोलन की धमकी दी। इसके चलते सरकार ने निर्णय लिया है कि इस मुद्दे पर पुनर्विचार किया जाएगा।

Bihar मे नितीश सरकार का मुखिया और वार्ड सदस्यों के लिऐ टेंडर पर पुनर्विचार करेगी बिहार सरकार


 नीतीश सरकार का पंचायती राज विभाग पर यू-टर्न

नीतीश सरकार ने हाल ही में कैबिनेट बैठक में पंचायती राज विभाग को लेकर एक बड़ा फैसला लिया था, जिसमें 15 लाख से कम की राशि के भी काम टेंडर से कराने का निर्णय शामिल था। इस फैसले का मकसद मुखियाओं पर लगाम लगाना था। लेकिन अब सरकार ने इस पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। पंचायती राज विभाग के मंत्री केदार गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे पर दोबारा विचार करेंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुनर्विचार

केदार गुप्ता ने कहा, "मुख्यमंत्री फिर से इस पर पुनर्विचार करेंगे। लोकतंत्र में जनता के लिए जनता द्वारा चुनी गई सरकार ही काम करती है। एनडीए सरकार विकास के लिए काम कर रही है। गलत जो करेगा उसका फैसला जनता करेगी।"

कैबिनेट में लिया गया फैसला

19 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में नीतीश सरकार ने पंचायत निर्माण कार्य मैन्युअल की स्वीकृति दी थी। पंचायती राज विभाग के प्रस्ताव में कहा गया कि पंचायत द्वारा अधिकांश योजनाओं का क्रियान्वयन विभागीय कर्मियों के अन्य क्रियाकलापों-उत्तरदायित्व के प्रति ध्यान नहीं देने के कारण नागरिकों को कठिनाई होती है।

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मुखिया संघ की नाराजगी

सरकार ने यह फैसला किया था कि 15 लाख रुपए तक की लागत वाली योजनाओं का सीमित निविदा के माध्यम से और अन्य सभी कार्य खुली निविदा के माध्यम से कराए जाएंगे। इस फैसले का सीधा असर मुखिया और प्रमुख पर पड़ता और उनके वित्तीय अधिकार पर लगाम लगती। इस पर मुखिया संघ ने नाराजगी जताई और आंदोलन की बात कही।

सरकारी नियंत्रण में काम

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पंचायत स्तर पर छोटी-छोटी योजनाओं के माध्यम से 9000 करोड़ से अधिक की राशि का काम हर साल हो रहा है। इस फैसले से यह पूरा काम सरकार के नियंत्रण में आ जाता। कैबिनेट के प्रस्ताव में कई प्रावधान किए गए थे, जिसमें एकल निविदा की स्थिति में दोबारा निविदा आमंत्रित की जानी थी।

निविदा प्रक्रिया

ग्राम पंचायत स्तर पर निविदा आमंत्रण और निष्पादन के लिए सक्षम प्राधिकारी कार्यपालक पदाधिकारी पंचायत समिति होंगे। निविदा निष्पादन हेतु मुखिया की अध्यक्षता में गठित समिति होगी। पंचायत समिति के स्तर पर निविदा आमंत्रण और निष्पादन के लिए प्रमुख पंचायत समिति की अध्यक्षता में गठित समिति होगी।

योजनाओं की समय सीमा

पंचायती राज विभाग अंतर्गत क्रियान्वित योजनाओं की समाप्ति की अधिकतम अवधि का निर्धारण भी किया गया है। 15 लाख तक के कार्य 6 माह में, 15 लाख से 50 लाख तक के कार्य 8 माह में, 50 लाख से 1 करोड़ तक का कार्य 10 माह में, 1 करोड़ से 2 करोड़ तक के कार्य 12 माह में, 2 करोड़ से 5 करोड़ तक के कार्य 15 माह में और 5 करोड़ से अधिक के कार्य 18 माह में पूरे करने होंगे। सिर्फ बाढ़ और आपदा के समय ही बिना निविदा के काम किया जाएगा।

आगे का कदम

मुखिया संघ की नाराजगी को देखते हुए इस फैसले को पुनर्विचार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भेजा गया है। देखना होगा कि मुख्यमंत्री इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं। संभव है कि नीतीश कुमार जल्द ही इस पर फैसला लें।